विद्यालय की पहचान है गांधी टोपी
महात्मा गांधी का अनुयायी होने का दावा करने वाले नेताओं ने भले ही 'गांधी
टोपी' को भुला दिया हो, मगर मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में एक ऐसा
विद्यालय है जहां के छात्र नियमित गांधी टोपी लगाकर ही आते हैं।
बात आजादी की लड़ाई के दौर की है, जब महात्मा गांधी नरसिंहपुर जिले के सिंहपुर बडा के माध्यमिक विद्यालय में आए थे। उनके आने का इस विद्यालय पर ऐसा असर पड़ा कि यहां के छात्रों ने गांधी टोपी को ही अपनी ड्रेस का हिस्सा बना लिया। वह सिलसिला आज भी जारी है और इस विद्यालय का हर छात्र सफेद कमीज, नीली पैंट के साथ सिर पर गांधी टोपी लगाकर आना नहीं भूलता।
शासकीय उत्तर बुनियादी माध्यमिक शाला में पहली से आठवी तक की कक्षाओं की पढ़ाई होती है। विद्यालय का हर छात्र नियमित तौर पर गांधी टोपी लगाकर आता है, क्योंकि टोपी के बगैर वह शाला में प्रवेश ही नहीं कर सकता है।
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका पुष्पलता शर्मा ने बताया कि टोपी पहनना यहां की परंपरा बन गई है। नियमित रूप से टोपी लगाने से बच्चों में अनुशासन आता है और वे अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं।
विद्यालय के छात्र दुर्गेश उइके का कहना है कि उन्होंने गांधी को तो नहीं देखा है मगर गांधी टोपी लगाने से उन्हें उनकी याद जरूर आ जाती है। वे चाहते हैं कि उनका आचरण भी गांधी जैसा हो और वे देश के लिए कुछ कर सकें।
छात्र रसीद खान कहते हैं कि गांधी टोपी लगाकर उन्हें फक्र महसूस होता है। यह टोपी उन्हें नई उर्जा देती है, वे अपना कोई भी जरुरी काम भूल जाएं मगर विद्यालय आते वक्त टोपी लगाना नहीं भूलते।
महात्मा गांधी के आने के बाद से शुरू हुई विद्यार्थियों के गांधी टोपी लगाने की परंपरा आज भी कायम है और उम्मीद करते हैं कि यह आगे भी जारी रहे, ताकि गांधी के अनुयायी होने का दावा करने वाले भी कुछ सीख लें।
बात आजादी की लड़ाई के दौर की है, जब महात्मा गांधी नरसिंहपुर जिले के सिंहपुर बडा के माध्यमिक विद्यालय में आए थे। उनके आने का इस विद्यालय पर ऐसा असर पड़ा कि यहां के छात्रों ने गांधी टोपी को ही अपनी ड्रेस का हिस्सा बना लिया। वह सिलसिला आज भी जारी है और इस विद्यालय का हर छात्र सफेद कमीज, नीली पैंट के साथ सिर पर गांधी टोपी लगाकर आना नहीं भूलता।
शासकीय उत्तर बुनियादी माध्यमिक शाला में पहली से आठवी तक की कक्षाओं की पढ़ाई होती है। विद्यालय का हर छात्र नियमित तौर पर गांधी टोपी लगाकर आता है, क्योंकि टोपी के बगैर वह शाला में प्रवेश ही नहीं कर सकता है।
विद्यालय की प्रधानाध्यापिका पुष्पलता शर्मा ने बताया कि टोपी पहनना यहां की परंपरा बन गई है। नियमित रूप से टोपी लगाने से बच्चों में अनुशासन आता है और वे अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं।
विद्यालय के छात्र दुर्गेश उइके का कहना है कि उन्होंने गांधी को तो नहीं देखा है मगर गांधी टोपी लगाने से उन्हें उनकी याद जरूर आ जाती है। वे चाहते हैं कि उनका आचरण भी गांधी जैसा हो और वे देश के लिए कुछ कर सकें।
छात्र रसीद खान कहते हैं कि गांधी टोपी लगाकर उन्हें फक्र महसूस होता है। यह टोपी उन्हें नई उर्जा देती है, वे अपना कोई भी जरुरी काम भूल जाएं मगर विद्यालय आते वक्त टोपी लगाना नहीं भूलते।
महात्मा गांधी के आने के बाद से शुरू हुई विद्यार्थियों के गांधी टोपी लगाने की परंपरा आज भी कायम है और उम्मीद करते हैं कि यह आगे भी जारी रहे, ताकि गांधी के अनुयायी होने का दावा करने वाले भी कुछ सीख लें।
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